जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

लेखक साफ संकेत करना चाहता है कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाये। उनमें से कई आज हमारे भारतीय नेता हैं। इन स्वतंत्रता सेनानियों या फिर कहें भारतीय नेताओं ने हमें स्वतंत्र कराया। इनके व्यक्तित्व के सामने जार्ज पंचम का व्यक्तित्व काफी छोटा दिखाई पङता है जो कि एक निरंकुश स्वभाव वाला व्यक्ति था। इसलिए भारतीय नेता की नाक जार्ज पंचम पर फिट नहीं बैठती है।

जार्ज पंचम की लाट या मूर्ति पर किसी भारतीय बच्चे की नाक फिट नहीं बैठने से लेखक का तात्पर्य भारत छोङो आंदोलन से है। तब के आंदोलन में किशोर वय के बच्चों ने अपनी देह पर गोली तो खा ली थी और अंत में पटना सचिवालय पर भारतीय तिरंगा फहरा कर ही दम लिया था। यहाँ भी लेखक इन भारतीय बच्चों के व्यक्तित्व को जार्ज पंचम से कहीं अधिक अच्छा मानता है। वह इन भारतीय बच्चों की सम्मानित नाक को भी जार्ज पंचम की मूर्ति पर फिट होने हेतु उपयुक्त नहीं मानता है।


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